Monday 5 March 2012

फागुन ....10

होली की हुर्दंग  कहीं ,
कहीं, गुलाल बादल बन के छाया है !
देखो ना अब के ये फागुन  ,
कितने  रंग लेके  आया है !

होलिका है जलने को तैयार
 मन प्रह्लाद बन पाया है !
सब  मगन बस मस्ती धुन में,
क्या मुन्ना क्या ताया है !
देखो ना अब के ये फागुन ,
कितने रंग लेके आया है

औब मन का ना  मैल रहेगा ना ,
ही शिकवा गिला !
छल कपट सब दूरहटेंगे
किसने कपट से कुछ  पाया है !
देखो ना अब  के ये फागुन
कितने रंग लेके आया है ! 

आवो मन को रंग लें सच से 
स्नेह सुशिल और आशीष वचन से
फिर कौन आपना कौन पराया है !
देखो ना अब के ये फागुन
कितने रंग लेके आया है  

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