Sunday 29 April 2012

केनवास ...20


जब भी चित्र बनाया मैने,
      तुमने कल्पना  कहा !
रंग भरा जब भी उसमें
      तुमने सपना कहा!
मैंने कहा " जीबन सुन्दर है " !
      तुमने कहा  "नही ये तो सत्य है!"
जब भी  कविता लिखा ,
      तुमने जूनून कहा
लिखा गजल जब भी मैंने,
      तुमने फिजूल कहा उसे ,
 मैंने कहा "पलाश सुन्दर है!!"
    तुमने कहा नही" ये तो गंधहीन है "
जब भी तर्क दिया मेने
     तुमने कहा" दार्शनिक मत बनो"
पूछा सवाल जब भी तुमसे ,
तुमने कहा" जिद मत करो "
क्या करूं ?  क्या पुछु  ?
तुम्ही इसकी एक किताब दे दो !
हर वक्त खोये से रहते हो,
कभी तो मुस्कुराकर ,
हाथो में मेरा हाथ ले लो!
उतर  में...
कभी गुसा कर ,कभी मुस्कुराकर,
मुझको टालते गये !       
और यूँ रंगता गया,
कभी जिन्दगी और कभी केनवास.......
 
 
 

Tuesday 17 April 2012

ख़ामोशी ....19

"खामोश हो तुम ,
पर  कुछ कहती हो "
              ऐसा कहते हो तुम अकसर  !
"दिन में तारे गिनती रहती  हो , 
खुली आँख से सपने बुनती हो ,
अछर धुंधला सा है, लेकिन ,
एक  खुली किताब सी लगती हो तुम "
               ऐसा  कहते हो तुम अकसर ! 
"कभी बोलती थकती नही,
जैसे  सारे जग का ज्ञान तुम्हे है !
कभी चुप शांत भोली सी,
 जैसे  कोई नादाँ हो तुम "
                ऐसा  कहते हो तुम अकसर !
"ख़ामोशी में  तेरी बातों को ,
सुन लिया हैचुप से मैंने भी  ,
आँखों के तेरे सपनों को ,
बुन लिया है मैंने भी ,
तुम किताब हो तेरी कविता ,
को पढ़ लिया है मैंने  भी ,
तेरा बोलना हो या चुप रहना,
 मुझको सब अच्छा लगता है !
तेरी बातों में मुझको,
 बचपन का सब सच लगता है! "
                   मुझको याद नहीं है लेकिन ,
                   ये सुब मुझसे कभी कहा हो !
                   खामोश हो तुम,
                   पर कुछ कहती हो,
                    ऐसा  कहते हो तुम अकसर .....

Monday 16 April 2012

कोमल कल्पना ...18

मैं आईने मैं देखती हूँ खुद को मगर ,
क्या आइना  भी देखता होगा मुझको...?
          अगर आइना भी मुझे देख  पाता
          तो  हुबहू तस्बीर न मेरी बनता
          कुछ और सजाता अपनी तरफ से
           कुछ  और सवार्ता अपनी तरफ से 
           मेरे हिर्दे से हीनता को हटा कर 
           ऊँचाइयों में मुझको कई पर लगा कर
           दिखता सलोना सपन
           और बताता वो मुझको
           की मेरा भी अस्तिव है बसुन्धरा में,
           इसे वो मेरे पास आके जताता!
 मैं आईने मैं देखती हूँ खुद को मगर.,
क्या आइना  भी देखता होगा मुझको ..?
            अगर आइना भी मुझे देख पाता  
             पल भर के लिये सही पर वो मुझको
             सपनों की रानी किसी का बनता
             कहतें हैं सब सच कहता है आइना 
             मगर वो भी डरता कहते हुए सच मुझसे
             अगर मेरे दुखों को वो पहचानता
 मैं आईने मैं देखती हूँ खुद को मगर 
 क्या आइना  भी देखता होगा मुझको...?

Friday 13 April 2012

आदत मेरी ....17

रातों  का  ख्वाब ,
सुबह  का सूरज बन जावो !
दर्द की दवा,
खुशियों की वजह बन जावो!
 दोड़ते रहें हम,          
समंदर के किनारे नगें  पैर,
सीपियों को चुनते रहें ,
बेवजह झगड़ने की,
तुम वजह बन जावो ,
धडकनों से तेज़,
मन से भी जो हो गहरा,
वो रिश्ता बन जावो ,
सातों जनम तक ना ,
छुट सके मुझसे
तुम वो मेरी आदत बन जावो......
 
  
  


चैन से.....16

ना हँसना,  ना रोना ये चाहता है ,
बहुत थक गया ,
झूठी हंसी हँसते -हँसते,
अब चैन से सोना चाहता है
ना  सर पे छत की  ख़ुशी है!
है ना पेरों  में ,छाले का गम 
ना झूठे सपनो का कोई सच ,
अब ये चाहता है.!.
                            न हँसना ..... 
ना बचपन है की कहानियों    
का सहारा मिल सके !
और नए खिलोनो से 
ये दिल बहल सके !
ना उम्मीदों का हिम है  !
की किसी वादे से पिघल सके 
ना किसी के जाने का गम है !
ना आने का इंतजार किसी का 
देखना तुझे ये बस ,
अब रब चाहता है.. ..

Thursday 12 April 2012

मेहमान ..15

बार- बार दस्तक देता है!
फिर लोट जाता है  !
मोहबत तो वो मेहमान,
बन गया है  जिन्दगी का ,
जब घर पर न हो हम ,
तभी जो घर आता है !
चुभता है अकेलापन हमें!
ओढने के बाद ,
मुस्कराहट का लिबास भी,
 जब भी आइना देखूं तो
आँखे साथ किसी का मांग देता है....
 



Monday 9 April 2012

पल...14

मुड़ कर भी फिर,
चाहे न देखो,
पर ये वादा करके
जाना  होगा !
जो  पल हमने 
साथ बिताये ,
भूल तुम्हे यहीं
तुम्हें जाना होगा !
 माना  की  ये ठीक है !
मुझे  भुलाना अच्छा होगा ,
पर तुम मुझसे,
सच -सच  कहना,
चाँद हसीं पल 
मेरे मुझ से,
छीन जाना,
 क्या ? अच्छा  होगा  ...?