कहीं, गुलाल बादल बन के छाया है !
देखो ना अब के ये फागुन ,
कितने रंग लेके आया है !
होलिका है जलने को तैयार
मन प्रह्लाद बन पाया है !
सब मगन बस मस्ती धुन में,
क्या मुन्ना क्या ताया है !
देखो ना अब के ये फागुन ,कितने रंग लेके आया है
औब मन का ना मैल रहेगा ना ,
ही शिकवा गिला !
छल कपट सब दूरहटेंगे
किसने कपट से कुछ पाया है !
देखो ना अब के ये फागुन
कितने रंग लेके आया है ! आवो मन को रंग लें सच से
स्नेह सुशिल और आशीष वचन से
फिर कौन आपना कौन पराया है !
देखो ना अब के ये फागुन
कितने रंग लेके आया है
No comments:
Post a Comment