Tuesday 28 February 2012

पहल ..... 8

मैंने हर रात खुद को तैयार किया है,
सुबह तुमसे मिल कर कुछ कहने को,
पर हर बार/ हर सुबह / हर दिन,
बीत जाता है फिर कल के इंतजार  में ,
ऐसा नहीं है तुम्हारी चाहत पुरानी हो गयी है,    
पर जाने क्यों मेरे अतस में मेरी ही आवाज ,
किस जंजीर से दब गयी है!

मैंने  हर पल तुम्हे याद करना चाहा,
पर कभी याद नहीं कर पाती हूँ!
पर हर बार/ हर सुबह / हर दिन,
बीत जाता है वकत तुम्हारी ही यादों में!

मैंने  हर बार खुद को सवांर है ,
तुमसे कुछ कहलवाने के लिए,
पर तुमने नहीं देखा नज़र उठा कर भी ,
शायद नजर से मुझे बचाने के लिए!
और फिर मेरा तुमसे ही रूठकर,
तुम्हे ही याद करना ...
देखतें हैं ये सिलसिला और कुब तक चलता है ..
प्यार मेरा या तुम्हारा कब पहल करता है..   

 

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