न जुल्फों को शाम कहो
कर सकते हो तो,
बस इतना कहना ,
अपनों का जब नाम गिनो ,
उनमें मेरा भी नाम धरो !
आँख हिरन सी मत कहना,
न होठ को गुलाब कहो!
कर सको तो बस इतना करना ,
कुछ उमीद पर मेरे खरे उतरो !
चूड़ियों की खनक मत सुनना ,
ना पाजेब का ही कोई हिसाब करो !
जो कर सको तो बस इतना करना
मेरे लिए अपना मन,
तुम साफ रखो .....
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